लखनऊ। ‘स्वीट क्रांति’ को गांव-गांव तक पहुंचाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए खादी इंडिया ने एक अनोखी पहल की है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के सिरोरा गांव में देश की पहली मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन लांच की। यह देश की पहली ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट’ है, जो 8 घटों में 300 किलोग्राम तक शहद का प्रसंस्करण कर सकती है। यह वैन जांच प्रयोगशाला से भी सुसज्जित है जो तत्काल शहद की गुणवत्ता की जांच कर सकती है। खास बात ये है कि इस मोबाइल वैन का डिजाइन 15 लाख रूपये की लागत से केवीआईसी ने अपने बहुविषयक प्रशिक्षण केंद्र, पंजोखेड़ा में तैयार किया है। देश की पहली मोबाइल हनी प्रोसेनिंग यूनिट की लॉचिंग पर केवीआईसी मध्य क्षेत्र के सदस्य जय प्रकाश गुप्ता भी उपस्थित थे।
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन केवीआईसी के शहद मिशन के तहत एक बड़ी उपलब्धि है जिसका उद्देश्यन मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण देना, किसानों को मधुमक्खी के बक्से वितरित करना तथा गांवों के शिक्षित और बेरोजगार युवकों को मधुमक्खी पालन गतिविधियों के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में सहायता करना है। शहद उत्पदन के जरिये प्रधानमंत्री के ‘‘ मीठी क्रांति‘‘ के विजन को दृष्टि में रखते हुए, केवीआईसी ने मधुमक्खी पालकों तथा किसानों को उनकी शहद की ऊपज का उचित मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए यह अनूठा नवोन्मेषण प्रस्तुत किया है।
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह मधुमक्खी पालकों के शहद का प्रसंस्करण उनके द्वार पर ही करेगी और इस प्रकार प्रसंस्करण के लिए शहद को दूर के शहरों में स्थित प्रसंस्करण केंद्रों तक ले जाने में होने वाली परेशानी तथा लागत की बचत करेगी। जहां यह मधुमक्खी पालन को छोटे मधुमक्खी पालकों के लिए अधिक लाभदायक बनाएगी, वहीं शहद की शुद्धता तथा सर्वोच्च गुणवत्ता मानकों का रखरखाव भी करेगी।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, केवीआईसी के अध्यक्ष श्री सक्सेना ने कहा कि शहद मिशन का उद्देश्यं देश में शहद का उत्पादन बढ़ाना और किसानों तथा मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि यह नवोन्मेषी मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन कई प्रकार के उद्देश्योंह को पूरा करेगी। मधुमक्खी पालकों के लिए शहद निकालने तथा प्रसंस्करण की लागत में कमी लाने के अतिरिक्त, यह शहद में किसी भी प्रकार की मिलावट की आशंका को समाप्त कर देगी क्योंकि प्रसंस्करण मधुमक्खी पालकों एवं किसानों के दरवाजों पर ही किया जाएगा। यह शहद प्रसंस्करण यूनिट उन छोटे किसानों एवं मधुमक्खी पालकों के लिए एक वरदान साबित होगी जिन्हेंर अपने शहद को प्रसंस्करण तथा पैकेजिंग के लिए अन्य शहरों में ले जाने पर अतिरिक्त लागत उठानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि प्रायोगिक परियोजना के अनुभव के आधार पर, विशेष रूप से पूर्वोत्तर के राज्यों में ऐसी और मोबाइल हनी प्रोसेसिंग इकाइयां आरंभ की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि प्रसंस्करण संयंत्रों तक शहद को ले जाना छोटे किसानों तथा मधुमक्खी पालकों के लिए एक खर्चीला और दुश्कर काम है। उच्च परिवहन लागत तथा प्रसंस्करण के खर्च से बचने के लिए, अधिकांश मधुमक्खी पालक अपने कच्चे शहद को अपने फार्म पर ही बहुत कम कीमत पर एजेटों को बेच देते थे। इसके परिणामस्वरूप, ये मधुमक्खी पालक मधुमक्खी पालन के वास्तविक आर्थिक लाभों को अर्जित करने में सक्षम नहीं हो पाते थे। इस मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब तथा राजस्थान जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में मधुमक्खी पालकों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन इन राज्यों की विभिन्न मधुवाटिकाओं में जाएंगी, जहां मधुमक्खी पालक अपने शहद को मामूली शुल्क पर प्रसंस्कृत कराने में सक्षम हो पाएंगे और वह भी उनके दरवाजों पर ही। इस शहद प्रसंस्करण इकाई में शहद की जांच करने के लिए एक प्रयोगशाला टेक्निशियन तथा एक तकनीकी सहायक भी शामिल रहते हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि शहद मिशन के तहत, केवीआईसी ने अभी तक देश भर में लगभग 1.60 लाख मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया है और 40,000 से अधिक रोजगारों का सृजन किया है। केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में ही जहां वनस्पतियों की प्रचुरता है, केवीआईसी ने किसानों तथा मधुमक्खी पालकों को लगभग 8000 मधुमक्खी बक्से वितरित किए हैं जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ गई है और अंतःपरागण के जरिये फसल की ऊपज में बढोतरी हुई है।
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