देहरादून। हार्टफुलनेस् इंस्टीट्यूट द्वारा उनके अत्यंत लाभकारी पारंपरिक मूल्यों और ज्ञान के सतत पुनः प्रवर्तन के जारी प्रयासों की कड़ी में वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर गीता जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस वर्ष एक बहुत ही विशेष अतिथि पवन वर्मा, आईएफएस, लेखक राजनयिक और पूर्व-राज्यसभा के सदस्य ने गीता जयंती के अवसर पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए और समारोह की शोभा बढ़ाई। इस समारोह में सम्पूर्ण देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 15 हजार लोगों ने भाग लिया।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को दिव्य उपदेश दिया, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। गीता का अर्थ है। ईश्वरीय गान, इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन के हृदय में प्राणाहुति द्वारा इन संदेशों का संचार किया। हार्टफुलनेस्स के संस्थापक रामचन्द्र महाराज, जिन्हें बाबूजी कहा जाता था। उन्होंने शोध किया था कि भगवान ने मात्र 6-10 श्लोक ही अर्जुन को सुनाए बाकी 690 श्लोक प्राणाहुति द्वारा अर्जुन के हृदय में संचारित किए गए। इन संचारित संदेशों के सूक्ष्म स्पंदनों को वेद व्यास ने गीता के 18 अध्याय और श्लोकों में लिपिबद्ध किया। गीता आज भी सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी की अर्जुन के लिए थी जब उसे धर्म के लिए युद्ध करने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता थी। आज वर्तमान डिजिटल युग है, बच्चों को उनकी पिछली पीढ़ी के मुकाबले भी हर प्रकार की सुविधाएं व शान-शौकत की वस्तुएं प्राप्त है। ऐसे में गीता द्वारा उन्हें नेक रास्ते पर चलने का सही प्रशिक्षण देना आज के युग की मांग है। इसी अवसर पर दाजी ने भी अपनी पुस्तक “वेदों और उपनिषद की कथाएं” नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में उनकी पारखी नजर ने बच्चों के लिए साहसिक कारनामे, खोज और बुद्धिमता से परिपूर्ण कहानियों की श्रृंखला का चयन किया है।