देहरादून। शहीद दुर्गामल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून के तत्वाधान में आज हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी के मुख्य अथिति पद्मश्री कवि लीलाधर जगूड़ी, विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कवि राजेश सकलानी एवं लेखिका एवम् समाज-सेविका गीता गैरोला थीं। कार्यक्रम के अध्यक्षता प्राचार्य डॉ डी सी नैनवाल ने की। हिंदी भाषा और उसकी लिपि विषय पर विचार गोष्ठी तथा पुस्तक लोकार्पण का आयोजन हिन्दी विभाग प्रभारी डॉ डी एन तिवारी के संरक्षण में हुआ। अतिथियों का परिचय डॉ. नवीन नैथानी ने कराया। स्वागत करते हुए डॉ डी एन तिवारी ने कार्यक्रम की महत्ता और अतिथियों के आने से कार्यक्रम के अपने-आप में अनूठे हो जाने की बात कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कविश्रेष्ठ लीला धर जगूड़ी ने हिन्दी भाषा और लिपि से जुड़ी अनेक विशिष्ट बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता, समृद्ध थाती एवं भविष्य में उसके उपयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, लिपि से सम्बंधित विसंगतियों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें वर्णों के लिखे जाने में कुछ बदलाव होने पर उसके और सटीक और सुदृढ़ होने की बात कही। ’देवनागरी लिपि की समस्याओं पर बात करते हुए जगूड़ी जी ने ‘ख’ की खराबी और ‘झ’ का झगड़ा की ओर श्रोताओं का ध्यान आकृष्ट करते हुए देवनागरी लिपि को सुधारने का प्रस्ताव दिया ।
हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत संपन्न हुए इस आयोजन में शहीद दुर्गमल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला, देहरादून में अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ पल्लवी मिश्र के काव्य-संग्रह विलोल वीचि वल्लरी का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ डी पी सिंह, हिन्दी विभाग ने काव्य-संग्रह की उत्कृष्ट समालोचना की। डॉ. सिंह ने कविताओं के नएपन को रेखांकित किया। ंगोष्ठी का कुशल संचालन राजनीति विज्ञान की डॉ राखी पंचोला ने किया।कवि राजेश सकलानी ने कविताओं में पोएटिक डिक्शन की ताजगी का उल्लेख किया । नवीन कुमार नैथानी ने समकालीन रचनासंसार से संवादरत होने के बावजूद समकालीन कविताओं के दबाव से मुक्त होना इस संग्रह की कविताओं की विशेषता बताई। लीलाधर जगूड़ी ने विलोल वीचि वल्लरी की कविताओं को हिंदी कविता के लिए आश्रवस्तिकर कहा। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ डी सी नैनवाल ने संगोष्ठी में हुई चर्चाओं की सराहना की एवं इस तरह के अकादमिक गतिविधियों के आगे भी होते रहने की बात कही, जिससे छात्र-छात्राओं का बौद्धिक विकास होता रहे। ‘विलोल वीचि वल्लरी’ डॉ पल्लवी मिश्रा का पहला हिंदी काव्य संग्रह है । उनके अध्ययन अध्यापन और लेखन का क्षेत्र अंग्रेजी रहा है। उन्होने अपने जीवनानुभवों, साहित्यिक यात्रा और रचना प्रक्रिया के बारे में बताया । डॉ. पल्लवी मिश्रा ने अतिथि वक्ताओं का आभार जताते हुए कहा कि ’यह मेरे लिए बहुत सौभाग्य का विषय है कि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी और राजेश सकलानी जी ने मेरी कविताओं को पढ़ कर उन पर अपनी वक्तव्य दिया है । यह मेरे लिए कभी न भूलने वाला क्षण है । कार्यकम में डॉ नर्वदेश्वर शुक्ल, डॉ रवि रावत,डॉ नीलू, डॉ सूरत सिंह बलूनी, डॉ पूनम पांडेय, डॉ प्रियंका डॉ पल्लवी उप्रेती, डॉ सुनीता रावत,डॉ आशा रोंगाली की गरिमामयी उपस्थिति रही। छात्र-छात्राओं में संदीप झा, महिमा गुनसोला, वंदना, बुशरा, आसिफ हसन, शीतल खोलिया आदि मौजूद रहे। पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी एवम् प्राचार्य ने एनसीसी कैडेट्स को ‘सी’ सर्टिफिकेट वितरित किया । महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने पूरे कार्यक्रम को मनोयोग से सुना।