विज्ञान के साथ जटिल कोरोना महामारी की समझ में प्रगति, सार्स-कोव-२ वायरस को प्रभावी ढंग से समाप्त करने में सहायता देगी।हालाँकि पिछले दो वर्षों में को के जीवविज्ञान, निदान, टीकों और उपचार में मजबूती के साथ अनुसंधान हुए हैं। परन्तु अभी भी कुछ ठोस कारणों के जबाब नहीं हैं, उदाहरण के लिए (१) कोविद के असमान वैश्विक वितरण के कारण क्या हैं? (२) संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, और ब्राजील ही पहले तीन प्रभावी राष्ट्र क्यों है? (३) चीन के साथ सीमा साझा करने वाले देश, भूटान ने कोविद को प्रबंधित कैसे किया? जहाँ कोविद से मौते सिर्फ ३ और संक्रमण दर सिर्फ ०.३४ % ही है।
प्रकृति में लगभग सभी जगह सूक्ष्म -जीव (माइक्रोब्स) पाए जाते हैं , वे मिट्टी के भीतर, समुद्र में और यहाँ तक की मानव के अंदर भी बहुतायत में पाए जाते हैं। इसमें से कुछ मात्र ही, लगभग नगण्य ही रोगजनकों के रूप में पहचाने गए है। इन गिने चुने रोगजनकों के कारण, समस्त सूक्ष्म -जीव ही बदनाम है। सहजीवी और सहभोजी सूक्ष्म-जीवों को माइक्रोबियोटा कहा जाता है। ये समृद्ध माइक्रोबियोटा रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करतें हैं और किसी रोगजनक वायरस और बैक्टीरिया के आक्रमण करने पर हमें बचाते हैं। कीटनाशक जहाँ एक ओर, फसलों को कीड़ों से बचाते हैं ओर खाद्य उत्पादन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं। वहीँ दूसरे ओर, कीटनाशक गैर-विशिष्ट होते हैं। जिनका ज्यादा उपयोग कीड़ों के साथ, सुरक्षात्मक माइक्रोबियोटा को भी खत्म कर देता है। इससे समृद्ध जैव विविधता में भी नुक्सान होता है। इस प्रकार एक संतुलित इकोसिस्टम आमतौर पर रोगजनक संक्रमण को काम करती है और कई अध्धयनों से पता चलता है की नए वायरस संक्रमण का परिणाम जैव विविधता में हानि होता है। कीटनाशकों का ज्यादा उपयोग समृद्ध जैव विविधता को प्रभावित करने का प्रमुख कारण है। चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत शीर्ष चार कीटनाशक उपभोक्ता देशों में से हैं और वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत कोरोना से सबसे प्रभावित देशों में हैं। वहीँ दूसरे ओर, भूटान कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल नहीं करता ओर ब्रूनेई देश सीमित मात्रा में उपयोग करता है। ये दोनों देश कोरोना से सबसे कम प्रभावित देशों में है। डॉ गहतोड़ी ओर उनकी टीम पिछले वर्ष से कोविद के मुख्य कारकों का अध्धयन कर रहे थे ओर उनका मानना है की हमें कीटनाशकों का उपयोग सीमित करना चाहिए। अभी हाल में ही, पर्ड्यू विश्वविद्यालय अमेरिका के एक शोध पत्र ने प्रकाश डाला की अमेरिका में किसान संक्रमण ओर मौतों दोनों के मामलों में आम आदमी से कई ज्यादा प्रभावित हैं। इससे कृषि उत्पादन में ३०९ मिलियन डॉलर की कमीं आई है । हालाँकि इस शोध पत्र में कारणों का पता नहीं चल पाया। किसान ओर कृषि श्रमिक कीटनाशकों के संपर्क में बहुत ज्यादा आतें हैं, इसमें श्रमिकों का एक बड़ा समूह होता है जो कीटनाशकों के लगातार संपर्क में रहता है। इसमें ग्राफिक इरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के बी फार्म छात्राएं अनन्या अग्रवाल, और रागिनी राय के साथ प्रोफेसर डॉ गौरव जोशी और डॉ प्रशांत गहतोड़ी के द्वारा कीटनाशकों का ज्यादा उपयोग कोरोना महामारी को ज्यादा बढ़ाने वाला बताया गया। मेड्रक्सिव को चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान में मुफ्त ऑनलाइन संग्रह और वितरण सेवा को बढ़ाने के लिए येल यूनिवर्सिटी और प्रकाशक BMJ द्वारा लांच किया गया जो वर्तमान में, विश्वस्तर पर कोविद-१९ सार्स-कोव-२ पर अच्छी खोजों को संगृहीत कर रहा है। कोरोना महामारी पर ग्राफिक इरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के इस शोध को मेड्रक्सिव येल विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित किया गया जो विश्वस्तर पर चुने हुए शोधों में से एक है। इस शोध हेतु, सभी आवश्यक सुविधाएं और सहायता प्रदान करने के लिए ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी प्रबंधन को धन्यवाद् दिया गया। इस क्रम में, डॉ गहतोड़ी और टीम द्वारा आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने पर जोर दिया गया।