देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता सुनील ध्यानी ने यूकेडी से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि दल में जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है, इसलिए वे दल के पद व प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं। उन्होंने अपना त्यागपत्र दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी को भेज दिया है।
सुनील ध्यानी ने दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी को भेजे गए त्यागपत्र में कहा है कि मेरा उत्तराखंड क्रांति दल का तीन दशक का सफर रहा हैं, जिसमें 24 व 25 जुलाई 1979 में दल के गठन व महान वैज्ञानिक डॉ डी0 डी0 पंत के पृथक उत्तराखंड राज्य संघर्ष आंदोलन की शुरुआत जो बाद में पहाड़ के गाँधी स्व0 इंद्रमणि बड़ोंनी के कुशल नेतृत्व में जन आंदोलन में तब्दील रहा उसमें प्रतिभाग किया, जो कि मेरा सौभाग्य रहा। दल के अनेक पदों में आपने कर्तव्य का निर्वहन बखूबी से किया। उक्रांद कि छात्र इकाई उत्तराखंड स्टूडेंट फ़ेडरेशन (यु एस एफ ) से राजनीति देहरादून जिलाध्यक्ष के रूप में शुरुआत करी, जिसमें कि केंद्रीय प्रवक्ता व कोषाध्यक्ष का निर्वहन तात्कालिक केंद्रीय अध्यक्ष जगदीश बुधानी के कुशल नेतृत्व में किया द्य दल के युवा प्रकोष्ठ में तात्कालिक युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह रावत, तत्पश्चात जगदीश बुधानी व विधायक पुष्पेंश त्रिपाठी के नेतृत्व में अलग अलग समय पर देहरादून युवा प्रकोष्ठ का महानगर अध्यक्ष, केंद्रीय सचिव, केंद्रीय महामंत्री व लगातार केंद्रीय प्रवक्ता के पद पर रहाद्य 2011 से लगातार दल के मुख्य संगठन का प्रवक्ता, मिडिया प्रभारी व अतिरिक्त प्रभार देहरादून जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष पद पर दल की सेवा करी तथा रीति नीतियों को जनता तक ले गये द्य इस बीच दल का कुशल नेतृत्व आदरणीय श्री दिवाकर भट्ट जी, मेरे राजनीतिक पथ प्रदर्शक स्व0 श्री विपिन चंद्र त्रिपाठी जी,एडवोकेट श्री बी डी रतूड़ी जी,डॉ नारायण सिंह जन्तवाल, त्रिवेंद्र सिंह पंवार, पुष्पेश त्रिपाठी तथा आपके नेतृत्व में कार्य किया।
अफ़सोस इस बात का रहा कि डॉ पंत व पहाड़ के गाँधी द्वारा तैयार किया गया दल दिन प्रतिदिन बिना किसी नियोजन, कार्य योजना व राजनैतिक सूझ बुझ के बिना तथा गैर राजनैतिक निर्णयों के कारण रसातल में गया, जिसके लिए पूर्णतः नेतृत्व जिम्मेदार है। नेतृत्व का अपना अहम, आपने वर्चुश्व कि लड़ाई के कारण आज राज्य का नियता वाला दल नेपथ्य में जा चुका हैं, जिसका भविष्य अंधकारमय हैं व दल के काडर के साथ नेतृत्व विश्वासघात कर रहा हैं, दल के पदों पर बिना सोच के लोगो को बढ़ावा देना जिनकी योग्यता उन पदों के लायक नहीं ये निर्मित करना, योग्य और दक्षता को नेतृत्व द्वारा अनदेखा करना जो कि चला आ रहा हैं ये गलत निर्णय ही दल को गर्त में ले जाने की कार्य योजना धोखा हैं, मैं ऐसे कार्याप्रणाली व शैली में घुटन महसूस कर रहा हुँ, वो भी आप जैसे कुशल राजनीतिज्ञ, संसदीय परम्पराओं का ज्ञाता, विद्वान व्यक्तित्व के होते ये सब होना बड़ा चिंतनीय विषय हैं, गुटबाजी, क्षेत्रवाद का प्रदर्शन ही उक्रांद के भविष्य को चौपट कर रहा हैंद्य इसलिए महोदय आपके नेतृत्व में मेरे जैसे कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं जिसका पूर्णतः अर्थ हैं कि ऐसे उपेक्षा से भला दल से ही किनारा किया जाय जो विगत चार दशकों से होते आया हैं कि कर्मठ, योग्यता वाले व्यक्तित्व की उपेक्षा दल के भीतर हुआ वप सभी लोग दल छोड़कर गये , इसके लिए दल का नेतृत्व पूर्णतः जिम्मेदार है।