देहरादून। 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की मांग पूरी न होने से गुस्साए राज्य आंदोलनकारियों ने बुधवार को राजभवन मार्च कर प्रदर्शन किया। राजभवन कूच करने जा रहे राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस द्वारा हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया। जिसके बाद आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोंक-झोक हुई। प्रदर्शनकारी राज्य आंदोलनकारियों का कहना था कि बीते 21 सालों से प्रदेश की सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को अनदेखा किया है। मांगों के संबंध में मंच राज्यपाल से वार्ता का समय मांग रहा है, लेकिन बीते दो-तीन साल से राज्यपाल के पास आंदोलनकारियों से बात करने का समय नहीं है। जबकि, 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की मांग कर पर भी सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
बुधवार को राज्य आंदोलनकारी मंच के बैनर तले प्रदेशभर से आंदोलनकारी देहरादून में जुटे। मध्याह्न 12 बजे आंदोलनकारियों ने राजभवन कूच किया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कूच कर रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने हाथीबड़कला चैक पर रोक दिया। यहां करीब तीन घंटे धरना देने के बाद आंदोलनकारी वापस लौटे। राज्य आंदोलनकारियों का कहना था कि वर्ष 2015 में गैरसैंण विधानसभा सत्र में सर्वसहमति से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण विधेयक पास होने के बाद अग्रिम कार्रवाई के लिए राजभवन भेजा गया था। छह साल बाद भी फाइल राज्यपाल के दफ्तर में धूल फांक रही है। पिछले तीन सालों से राज्यपाल उन्हें मिलने तक का समय नहीं दे रहीं। वर्ष 2004 में एक शासनादेश के आधार पर राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण से नौकरियां दी गई थी। लेकिन, हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए संबंधित जीओ को कानूनी रूप देने के निर्देश दिए थे। वर्ष 2015 में तत्कालीन सरकार ने विधेयक राजभवन भेज दिया था, लेकिन तब से यह कानून की शक्ल नहीं ले सका। इस मौके पर आंदोलनकारियोंने सिटी मजिस्ट्रेट कुशुम चैहान के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया।