देहरादून। स्वस्थ जीवन के लिए भोजन भले ही एकअनिवार्य आवश्यकता है, लेकिन अनाज को उगाने के लिए पारंपरिक यूरिया के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचती रही है। यह मिट्टी की गुणवत्ता को घटा रहा है, जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहाहै और ग्लोबल वार्मिंग में भी योगदान दे रहा है। जाहिर है एक तरफ पारंपरिक यूरिया हमें आबादी के लिए और अधिक भोजन उगाने में मदद कर रहा था, लेकिन दूसरी तरफ यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा था। दुनिया कैच-22 की स्थिति में थी। इसे एक समाधान की जरूरत थी और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं इस दिशा में शोध कर रही थीं।