देहरादून। महाराष्ट्र का भौगोलिक स्थान, उसकी सांस्कृतिक, प्राकृतिक विविधता और महान ऐतिहासिक धरोहर की वजह से महाराष्ट्र राज्य हमेशा से विविध प्रकार के पर्यटकों को अनुभवसंपन्न पर्यटन का आनंद देता आ रहा है। इन में से कृषि एवं ग्रामीण पर्यटन आजकल के पर्यटकों के पसंदीदा पर्यटन विकल्प है। आधुनिक काल में बहुत से पर्यटक नजदीकी अंतर के स्थलों पर पर्यावरण स्नेही पर्यटन करना पसंद करते हैं। महाराष्ट्र शासन का पर्यटन विभाग ऐसे आधुनिक पर्यटन विकल्पों का सबलीकरण और उनके प्रचार एवं प्रसार की मोहीम में जुटा हुआ है। इस तरह शासकीय माध्यम से कृषि, ग्रामीण और शाश्वत पर्यटन का विकास करने वाला महाराष्ट्र भारत का एकमात्र राज्य है।
महाराष्ट्र शासन ने कृषि पर्यटन योजना का कार्यान्वयन करके इस बारे में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। इस योजना द्वारा कृषि तथा ग्रामीण अर्थकारण का शाश्वत विकास हो, किसानों को आमदनी का एक वैकल्पिक साधन उपलब्ध हो, खेती से संबंधित उद्योगों का विकास हो और विशेष रूप से ग्रामीण प्रांतों में महिलाओं का आर्थिक सबलीकरण हो ये महाराष्ट्र शासन का ध्येय है। साथ ही इस योजना की वजह से शहरी पर्यटक खेती की प्रत्यक्ष जानकारी लेते है, किसानों का दैनंदिन जीवन देखते है, ग्रामीण संस्कृती से परिचित होते है और अपने जीवन में एक खास पर्यटन अनुभव जोड़ते है। खेती के काम करने का मौका उन्हें प्रकृति के और करीब लेकर जाता है और उन्हें निरामय जिंदगी जीने की प्रेरणा देता है। एग्री टुरिझम डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन’ (एटीडीसी) के संस्थापक पांडुरंग तावरे ने कहा “कृषि पर्यटन योजना ने महाराष्ट्र में कृषि पर्यटन का विकास होने के हेतु कृषि पर्यटन में निवेश करने में उत्सुक किसानों के लिए बुनियादी रास्ता तैयार किया है। खेती प्रमाणपत्र की शर्त रद्द कर और पाठशालाओं में विद्यार्थियों की कृषि-शिक्षण सैर अनिवार्य कर अब कृषि पर्यटन को बड़े बाजार विस्तार का मार्ग खुला हुआ है। 14वंे ‘वर्ल्ड घ्ग्री टुरिझम डे’ के अवसर पर पर्यटन विभाग, महाराष्ट्र शासन ने 15 और 16 मई को ‘इंटरनॅशनल कॉन्फरन्स ऑन घ्ग्री-टुरिझम’ का आयोजन किया है। इस दो-दिवसीय चर्चा सत्र में घ्ग्री टुरिज्म क्षेत्र में बड़ा योगदान दिए हुए देश तथा विदेश के विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।