देहरादून। विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर मौसम जनित आपदाओं के संदर्भ में राज्य की संवेदनशीलता एवं राहत व बचाव हेतु किये जा रहे कार्यों की समीक्षा हेतु मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश में मौसम जनित आपदा में जनहानि को कम करने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण प्रदेश को डाॅप्लर रडार की परिधि में लाये जाने की आवश्यकता है, जिसके आंकलन के लिए विस्तृत अध्ययन किया जाय। उन्होंने कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए समय की बाध्यता को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री रावत ने लैंसडाउन में प्रस्तावित डाॅप्लर राडर की शीघ्र स्थापना हेतु अधिकारियों को निर्देश दिये।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयेाजित वेबीनार में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बतौर विशिष्ठ अतिथि प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि आपदा के लिहाजा से प्रदेश अतिसंवेदनशील है। जिसको मध्यनजर रखते हुए नवीनतम तकनीकों के आधार पर मौसम आधारित आपदाओं का पूर्वानुमान समय रहते जनसमुदाय को पहुंचाया जाय। इसके लिए संवेदनशील इलाकों में चेतावनी सिस्टम स्थापित किये जायेंगे। डा. रावत ने विभागीय अधिकारियों को आपदा के दौरान जनहानि कम करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण व जागरूक करने के निर्देश भी दिये। डा. रावत ने बताया कि चमोली में आई आपदा के विभिन्न पक्षों पर विचार-विमर्श एवं भविष्य में ऐसे घटनाओं की पुनरावृत्ति के निराकरण के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा अप्रैल माह के तृतीय सप्ताह में राष्ट्रीय स्तर का एक आपदा प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। जिसके माध्यम से विशेषज्ञों की राय लेकर भविष्य की योजना तैयार की जायेगी। सचिव आपदा प्रबंधन एस. ए. मुरूगेसन ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा मौसम पूर्वानुमानों को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश भर में मौसम के आंकडे एकत्रित करने वाले 176 यंत्रों की स्थापना की गई है। जिनके माध्यम से एकत्रित आंकड़ों का सम्प्रेषण वास्तविक समय पर राज्य मुख्यालय के साथ ही मौसम विज्ञान विभाग के पुणे स्थित केन्द्र को भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि मुक्तेश्वर में स्थापित डाॅप्लर रडार ने कार्य शुरू कर दिया है जबकि सुरकण्डा में डाॅप्लर रडार की स्थापना का कार्य अंतिम चरण में है। बाढ़ की चेतावनी के लिये विभाग के द्वारा कोटेश्वर तथा ऋषिकेश के मध्य भागीरथी/गंगा के तट पर 08 स्थानों पर स्वचलित सायरनों की व्यवस्था की गई है। बैठक में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 ओम प्रकाश सिंह नेगी, अपर सचिव वन एवं पर्यावरण सुश्री नेहा वर्मा, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आनंद श्रीवास्तव, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के डाॅ पीयूष रौतेला, मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून के रोहित थपलियाल सहित कई विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।