देहरादून। राज्य कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। हरिद्वार में शुरू हो रहे कुंभ के कामों को तेजी से पूरा करने के लिए दो करोड़ रुपये तक के काम बिना निविदा के कराने का कैबिनेट ने फैसला किया है। कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के लिए एक करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। कोरोनेशन अस्पताल का फोर्टिस के साथ पीपीपी मोड में हृदय रोग, डायलिसिस आदि से संबंधित अपचार के लिए करार एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रदेश में गोपन को अब मंत्रिपरिषद के नाम से जाना जाएगा।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि कुंभ के दो करोड़ रुपये तक के कामों को तेजी से पूरा कराने के लिए अधिप्राप्ति नियमावली में शिथिलता प्रदान की गई है। मेलाधिकारी की ओर से इसका प्रस्ताव आया था। इसके तहत सड़क, बिजली, पानी, स्ट्रीट लाइट, शौचालय आदि के काम नए प्रस्तावित क्षेत्रों में कराए जाएंगे। ये क्षेत्र अखाड़ों से संबंधित हैं। महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया है।महाकुंभ के तहत नगर निगम हरिद्वार में 3664.60 लाख रुपये की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना को मंत्रिमंडल ने पांच पैकेज बनाने को भी स्वीकृति दी है। इसमें भूपतवाला, कनखल, मायापुरी और गौरीशंकर क्षेत्र शामिल हैं। पांचवी रिपैकेजिंग मानव श्रम से संबंधित है। मानव श्रम की निविदा में दस प्रतिशत अधिक लागत को मंत्रिमंडल ने स्वीकृत किया है। इससे 2.49 करोड़ अधिक खर्च होंगे और 9000 लोगों की तैनाती की जाएगी। मंत्रिमंडल ने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के लिए एक करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इस मेडिकल कॉलेज के लिए केंद्र सरकार से स्वीकृति ली जाएगी। पहले यह मेडिकल कॉलेज ईएसआई के साथ मिलकर बनना था। इस पर विवाद हुआ तो अब मंत्रिमंडल ने अलग से अस्पताल बनाना स्वीकार किया है। कोरोनेशन अस्पताल का फोर्टिस के साथ पीपीपी मोड में हृदय रोग, डायलिसिस आदि से संबंधित अपचार के लिए करार सात मार्च, 2021 तक के लिए था। मंत्रिमंडल ने यह करार अब एक साल के लिए बढ़ा दिया है। यह करार अब सात मार्च 2022 तक लागू रहेगा। प्रदेश में गोपन को अब मंत्रिपरिषद के नाम से जाना जाएगा। अन्य राज्यों में भी मंत्रिमंडल से संबंधित मामलों में प्रस्ताव बनाने से लेकर अन्य काम मंत्रिपरिषद विभाग के नाम से ही किया जाता है। प्रदेश में गोपन के नाम से इस विभाग को जाना जाता रहा है।