जो संगमरमर इमारतें आवाज हैं आबाद रहने दो, हम तो टेढ़े मेढ़े पत्थर हैं हमें बुनियाद रहने दो

-यमुना साहित्य धारा ने आयोजित की काव्य गोष्ठी

 विकासनगर। साहित्यिक संस्था यमुना साहित्य धारा ने काव्य के नवसृजन के उद्देश्य से ब्लॉक कार्यालय सभागार में काव्य गोष्ठी आयोजित की, जिसमें क्षेत्र के विभिन्न कवियों ने काव्य पाठ किया। सरस्वती वंदना के साथ प्रारम्भ हुई काव्य गोष्ठी में कवि सुरेश भारती ने अपनी रचना सुनाई-जो संगमरमर इमारतें आवाज हैं आबाद रहने दो, हम तो टेढ़े मेढ़े पत्थर हैं हमें बुनियाद रहने दो। साहित्यकार भास्कर चुग ने उम्र बिना रुके सफर कर रही है, और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं.. रचना सुनाई।
कवि सोम देश प्रेमी ने अपनी रचना मेरा देश फौलाद किला है, इसमें शहीदों का लहू मिला है,  इसे तोड़ना दुनिया वालों इतना नहीं आसान, यह मेरा भारत देश महान है रचना प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष पुष्पेंद्र त्यागी ने अपना गीत सुनाया जो तुम कहो हम ना सुने अच्छा नहीं है, जब हम कहें तुम ना सुनो अच्छा नहीं है, सब बात मानेंगे अगर वाजिब कहोगे, अच्छी ना लगे यह बात तो अच्छा नहीं है। प्रसिद्ध कवि नाथीराम देहाती ने अपनी रचना छूती है अंबर जरूरत की चीजें,  होली दिवाली मैं कैसे मनाऊं, ना घर में दिया है ना बाती है घर में, आखिर मैं जिगर के सिवा क्या जलाऊं सुुनाई। गीतकार संतोष गोयल ने अपना गीत सुनाया-वो खोया हुआ हम नगर ढूंढते हैं, था जिसमें हमारा वह घर ढूंढते हैं। यशपाल सजवाण ने अपनी रचना पर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने जब से सजी है मंडियां महलों के साए में, बस आबरू गरीब की नीलाम हुई है रचना पेश की। रचनाकार अनिल शिवहरे ने अपनी रचना कलयुग के इस महाभारत में आखिर तुमको मरना होगा, कितना भी तुम जोर लगा लो जीत हमारी पक्की होगी पेश की। संस्था के सचिव पवन कुमार भार्गव ने सभी कविगणों का धन्यवाद करते हुए अपनी श्रृंगार रस की रचना मैंने इतना किया है उन्हें प्यार क्यों,  वह समझते हैं मुझको गुनाहगार क्यों,  धड़कने बन गई है जुबां अब मेरी, फिर भी होता नहीं है उनसे इजहार क्यों प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष पुष्पेंद्र त्यागी ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि अब विकासनगर क्षेत्र में लगातार काव्य गोष्ठियां होती रहंेगी और नवोदित कवियों को भी साहित्य से जोड़ा जाएगा।