सदन में विपक्ष ने सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर घेरा

देहरादून। सदन में बुधवार को विपक्ष ने सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर घेरा। दिनभर हंगामा चला, दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। बाद में सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉक आउट कर दिया। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन का माहौल कार्यवाही शुरू होते ही गरमा गया। विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के तहत सीएम के ओएसडी केएस पंवार, कर्मकार बोर्ड, सीएम के स्टिंग, छात्रवृत्ति घोटाले आदि मामलों को उठाया। सरकार की ओर से कहा गया कि अधिकतर मामलों में या तो जांच हो रही है या फिर मामले कोर्ट में हैं।
इस पर पक्ष-विपक्ष के बीच करीब 25 मिनट तक तीखी बहस हुई। बाद में केएस पंवार के मामले को नियम 58 के तहत सुनने के लिए स्वीकार किया गया। विपक्ष ने केएस पंवार के मामले को मनी लांड्रिंग से जोड़ा। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि 2019 में इस मामले की जांच एसआईटी से कराई जा चुकी है और इसमें भ्रष्टाचार जैसा कोई मामला नहीं है। आरबीआई से भी इस मामले में बात की जा चुकी है। इस पर पीठ ने इस मामले में चर्चा कराना अस्वीकार किया। इससे नाराज विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया। इससे पहले प्रश्नकाल और शून्यकाल में भी ट्रेजरी बैंच को विपक्ष के तल्ख रुख का सामना करना पड़ा। श्रम मंत्री हरक सिंह को कर्मकार बोर्ड के मामले में विपक्ष के सवालों का जवाब देना पड़ा। यह मामला विपक्ष ने भ्रष्टाचार पर चर्चा के प्रस्ताव के तहत भी उठाया था। हरक सदन में सफाई देते हुए भावुक भी हुए। सरकार ने राजभवन से लौटे दो विधेयकों सहित छह विधेयक पारित कराए। अंब्रेला विश्वविद्यालय विधेयक में एक संसोधन किया गया, जबकि उच्च शिक्षा से संबंधित दूसरे विधेयक को मूल रूप से पारित किया गया। कांग्रेस विधायक करन माहरा की ओर से उठाए गए पुरानी पेंशन बहाली मामले में सरकार ने केंद्र को दोबारा प्रस्ताव भेजना स्वीकार किया। इसी तरह हरीश धामी की ओर से उठाए गए धारचूला आपदा से प्रभावित लोगों के मालिकाना हक के मामले में सरकार ने परीक्षण कराने की हामी भरी।