देहरादून नगर निगम में 60 करोड़ का घोटाला.!

-एडवोकेट विकेश नेगी ने आरटीआई के माध्यम से किया बड़ा खुलासा
– मोहल्ला स्वच्छता समिति के कागजों में ठाकुर-ब्राह्मण, जाट, यादव, गुप्ता भी सफाई कर्मचारी
– बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर के लोगों की कर दी तैनाती

देहरादून। नगर निगम में अब एक और नया घोटाला उजागर हुआ है। निगम पार्षदों ने अफसरों के साथ मिलीभगत कर मोहल्ला स्वच्छता समितियों की आड़ में लगभग 60 करोड़ से भी अधिक की धनराशि का दुरुपयोग किया है। निगम के 100 वार्डों में 1021 पर्यावरण मित्रों की तैनाती की है। इनमें से अधिकांश को फर्जी पाया गया है। यह खुलासा किया है आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार पार्षदों ने जो पर्यावरण मित्र तैनात किये, उनमें कई गड़बड़ियां हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

एडवोकेट विकेश नेगी ने आरटीआई के माध्यम से नगर निगम से मोहल्ला स्वच्छता समिति की नई सूची-2019 मांगी। आरटीआई से मिली इस सूची में सभी 100 वार्डों में पार्षदों द्वारा 1021 कर्मचारियों की तैनाती की गयी है। इन कर्मचारियों को प्रतिदिन 500 रुपये मिलते हैं। जानकारी के मुताबिक यह राशि पार्षद के माध्यम से इन कर्मचारियों को वितरित की जाती है। सूची में लगभग हर वार्ड में तैनात कई कर्मचारियों के नाम और पते को लेकर संशय की स्थिति है। आरटीआई के माध्यम से उपलब्ध कराई गई सूची में बड़ी संख्या में कर्मचारियों के पते दर्ज नहीं है।

ठाकुर-ब्राह््रमण, जाट, यादव, गुप्ता भी सफाई कर्मचारी
नगर निगम के 100 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड में पार्षदों ने कम से कम पांच कर्मचारी तैनात किये हैं। जबकि एक वार्ड में 20 कर्मचारी भी रखे गये। इसके अलावा पांच वार्डों में 16-16 सफाई कर्मचारी रखे गये। सफाई कर्मचारियों में गोदियाल, नैथानी, शर्मा, गहलोत, रावत, चौहान, गुप्ता भी शामिल हैं। शुभम नाम के 15 से भी अधिक लोग हैं। इनका पता नहीं है। एक वार्ड में दो शुभम है और उनका पता 3 और 4 सालावाला, हाथीबड़कला दिखाया गया है। एडवोकेट नेगी के अनुसार हर पर्यावरण मित्र को प्रतिदिन 500 रुपये दिये जाते हैं। यह राशि वार्ड पार्षद के खाते में जाती है और पार्षद ही इसका भुगतान पर्यावरण मित्र को करता है।

बिजनौर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर लोगों की कर दी तैनाती
आरटीआई से मिली लिस्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। यदि चार-पांच वार्डों को छोड़ दिया जाएं तो लगभग सभी वार्ड में संदिग्ध कर्मचारियों की तैनाती हुई है। कई पर्यावरण मित्रों का पूरा नाम और पता भी नहीं है। कई पार्षदों ने ऋषिकेश, ऊधमसिंह नगर, रुड़की के अलावा उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और आजमगढ़ के कर्मचारियों को भी अपनी टीम में शामिल किया है। गौरतलब है कि नगर निगम के प्रशासक सोनिका के आदेश पर इन कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन किया तो अधिकांश कर्मचारी नदारद मिले।

वित्तीय अनुमति को लेकर उठे सवाल
एडवोकेट विकेश नेगी ने बताया कि यह पैसा निगम से सीधे पार्षद के खाते में जाता है। उन्होंने सवाल किया किइस तरह की व्यवस्था को वित्तीय अनुमति कैसे प्रदान की गयी? यह सरासर प्राकृतिक नियम के खिलाफ है। नियमों के तहत काम करने वाले कर्मचारी को ही वेतन का सीधे भुगतान किया जाना चाहिए न कि पार्षदों के माध्यम से। उन्होंने कहा कि एक वार्ड से औसतन 10 पर्यावरण मित्रों की तैनाती की गयी है। इस आधार पर औसतन एक पार्षद को हर महीने एक लाख रुपये मिले। पिछले पांच साल में इस आधार पर लगभग 60 करोड़ रुपये मोहल्ला सुधार समितियों के नाम पर खर्च कर डाले गये। इससे निगम की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। एडवोकेट नेगी के अनुसार स्वच्छता समिति के कर्मचारियों की जो सूची उन्हें आरटीआई के तहत उपलब्ध कराई गयी थी, उसे भी बदलने के आरोप हैं। उन्होंने कहा कि यह भी वित्तीय अनियमिता है। इसकी भी जांच की जाएं।

एडवोकेट विकेष सिंह नेगी के मुताबिक इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए और वित्तीय अनियमितता करने वाले पार्षदों के खिलाफ रिकवरी के साथ ही कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए।

 376 total views,  2 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *