देहरादून। कोरोना महामारी के संक्रमण से उत्तराखण्ड में छाई मंदी अब दूर होने लगी है। अनलॉक घोषित होते ही पर्यटन पर फोकस करने की त्रिवेन्द्र सरकार की ट्रिक काम कर गई। पर्यटन और निर्माण क्षेत्र में सरकार योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ी तो निजी क्षेत्र में नौकरियों के द्वार खुल गए। खासकर होटल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस, निर्माण, फार्मा, सिक्योरिटी व हाउस कीपिंग सेक्टर में बेरोजगारों को रोजगार मिलने लगा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़े तस्दीक करते हैं कि अनलॉक के बाद महज दो माह में ही उत्तराखण्ड में प्राइवेट सेक्टर में 43901 लोगों को नौकरियां मिली।
मार्च 2020 के तीसरे सप्ताह में देशभर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था। देशव्यापी बंदी से निजी क्षेत्र में लाखों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। महामारी के चलते नौकरी का ग्राफ तेजी से गिर गया। उत्तराखण्ड में भी इसका असर देखा गया। अब जबकि अनलॉक के बाद स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं तो नौकरियों के दरवाजे भी खुलने लगे हैं। अनलॉक होते ही त्रिवेन्द्र सरकार ने मंदी से उबरने के लिए पर्यटन पर फोकस किया। पर्यटकों को तमाम तरह की रियायतें देते हुए सरकार ने उन्हें उत्तराखण्ड की ओर आकर्षित किया। लुभावने पैकेज का न्यौता पर्यटकों ने स्वीकारा, जिससे होटल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में उछाल आने लगा। पर्यटक और तीर्थयात्री अच्छी तादात में उत्तराखण्ड पहुंचे। राज्य में चल रहे निर्माण कार्यों में भी तेजी लाई गई तो श्रमिकों को भी रोजगार मिलने लगा। ईपीएफओ उत्तराखण्ड के मुताबिक लॉकडाउन के बाद बीते जुलाई से निजी सेक्टर में नौकरियों का ग्राफ फिर से उठने लगा। जुलाई और अगस्त माह में उत्तराखण्ड में 43901 लोगों को प्राइवेट फर्मों में रोजगार मिला। मौजूदा समय में यह ग्राफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।