नई दिल्ली। भारत में 432 हिमनद झीलों का काफी ज्यादा विस्तार हो रहा। यह स्तर चिंताजनक है। आपदा के मद्देनजर इनकी सघन निगरानी की जरूरत है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने अपनी निगरानी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। हाल में जारी की गई हिमनद झीलों और जल निकायों की मासिक निगरानी रिपोर्ट में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में फैली 432 हिमनद झीलों को अचानक और विनाशकारी बाढ़ लाने की क्षमता के कारण कड़ी निगरानी के लिए चिह्नित किया गया है।
हिमनद झील एटलस 2023 के अनुसार भारत स्थित 432 हिमनद झीलों (कुल 681 में से) के जल विस्तार क्षेत्र में जून 2025 के दौरान वृद्धि हुई, इसलिए आपदा के उद्देश्य से इनकी सघन निगरानी की जरूरत है। ये निष्कर्ष देशभर में व्यापक बाढ़ की पृष्ठभूमि में सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के कारण भूस्खलन में 7 लोगों की मौत हुई है।
बाढ़ से पंजाब में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। जम्मू-कश्मीर के कटरा में बारिश के बीच मां वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई थी। आयोग ने तत्काल तैयारी की आवश्यकता पर बल देते हुए निचले इलाकों के समुदायों के लिए वास्तविक समय निगरानी प्रणाली, उपग्रह आधारित अलर्ट और पूर्व चेतावनी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल हिमनद झील क्षेत्र 2011 से 30.83% बढ़ गया है। यह 1,917 हेक्टेयर से बढ़कर 2,508 हेक्टेयर हो गया। अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा विस्तारित झीलें 197 हैं। लद्दाख में 120, जम्मू-कश्मीर में 57, सिक्किम में 47, हिमाचल प्रदेश में 6, उत्तराखंड में 5 झीलों का क्षेत्र बढ़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक जून 2025 के दौरान निगरानी की गई 2843 जीएल और डब्ल्यूबी में से 1435 के क्षेत्र में वृद्धि, 1008 के क्षेत्र में कमी, 108 के क्षेत्र में परिवर्तन नहीं हुआ। 292 का विश्लेषण नहीं हुआ। आयोग ने जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के बीच समन्वय के साथ नेपाल, भूटान, चीन के साथ सीमापार सहयोग का भी आह्वान किया है। दरअसल, कई विस्तारित झीलें सीमाओं के पार हैं, लेकिन भारतीय नदियों को पानी देती हैं।
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