देहरादून। विश्व ओजोन दिवस का कार्यक्रम ओजोन परत की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, जो पृथ्वी को हानिकारक यूवी विकिरण से बचाता है, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करते हुए, ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को कम करने के वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देता है। विश्व ओजोन दिवस पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संयुक्त रूप से 26 सितंबर, 2024 को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) और भूमि, वायु और जल उत्कृष्टता केंद्र (सीओई-एलएडब्ल्यू), डीआईटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई थी। मुख्य अतिथिरू डॉ. जी रघुराम, कुलपति, डीआईटी विश्वविद्यालय और विशिष्ट अतिथिरू चंदन सिंह रावत, मुख्य पर्यावरण अधिकारी और यूकेपीसीबी के डॉ. अंकुर कंसल, संयोजक डॉ. नवीन सिंघल ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया और प्रतिनिधियों का परिचय दिया यह कार्यक्रम तकनीकी परिचर्चा, जीवन रक्षक और प्रदूषक दोनों के रूप में ओजोन की भूमिका, संबंधित जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ प्रथाओं पर केंद्रित रही। रवि पांडे ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और जीएचजी शमन रणनीतियों के बारे में विस्तार से बताया मित्रा ने ओजोन मात्रा निर्धारण पर विस्तार से बताया, और डॉ. नीलेश यादव ने प्रदूषण शमन में वन आवरण की भूमिका पर चर्चा की। डॉ. देबाशीष चौधरी ने प्रदूषण को संवेदी धारणाओं से जोड़ते हुए अपरंपरागत सिद्धांत प्रस्तुत किए। कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी कार्यक्रम भी शामिल थे जिनमें यूजी, पीजी और स्कूली बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजनों ने विजेताओं को विधिवत सम्मानित किया गया। सत्र का संचालन कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. तरुमय घोषाल ने किया।