गढ़वाल में राजपूत जातियों का इतिहास

देहरादून, (गढ़ संवेदना)।  गढ़वाल क्षेत्र में निवास करने वाली राजपूत जातियों का इतिहास काफी विस्तृत है। यहां बसी राजपूत जातियों के भी देश के विभिन्न हिस्सों से आने का इतिहास मिलता है।

1-परमार (पंवार)-इनकी पूर्व जाति परमार है। ये यहां धार गुजरात से सम्वत 945 में आए। इनका गढ़ गढ़वाल राजवंश है। 
2-कुंवरः ये पंवार वंश की उपशाखा है। 
3-रौतेलाः पंवार वंश की उपशखा। 
4-अस्वालः ये नागवंशी वंश के हैं। ये दिल्ली के समीप रणथम्भौर से सम्वत 945 में यहां आए। कोई इनको चह्वान कहते हैं। अश्वारोही होने से अस्वाल थोकदार हैं।
5-बत्र्वालः ये पंवार वंश के हैं। जो कि सम्वत 945 में उज्जैन/धारा से यहां आए। यहां इनका प्रथम गांव बडे़त है। 
6-मंद्रवाल (मनुराल)ः ये कत्यूरी वंश के हैं। ये सम्वत 1711 में कुमांऊ से आकर यहां बसे।
7-रजवारः कत्यूरी वंश के हैं। सम्वत 1711 में कुमांऊ से आए। इनको कुमांऊ के कैंत्यूरा जाति के राजाओं की संतति बताते हैं। 8-चंदः ये सम्वत 1613 में यहां आए। ये कुमांऊ के चंद राजाओं की संतान में से हैं। 
9-रमोलाः ये चह्वान वंश के हैं। सम्वत 254 में मैनपुरी से यहां आए। से पुरानी ठाकुरी सरदारों की संतान हैं। रमोली में रहने के कारण ये रमोला हैं। 
10-चह्वानः ये चह्वान वंश के हैं और मैनपुरी से यहां आए। इनका गढ़ ऊप्पूगढ़ था। 
11-मियांः ये सुकेत और जम्मू से यहां आए। ये गढ़वाल के साथ नातेदारी होने के कारण यहां आए।

रावत संज्ञा के राजपूत-
12-दिकोला रावतः इनकी पूर्व जाति (वंश) मरहठा है। ये महाराष्ट्र से सम्वत 415 में यहां आए। इनका गढ़ दिकोली गांव है।

13-गोर्ला रावतः ये पंवार वंश के हैं। गोर्ला रावत गुजरात से सम्वत 817 में यहां आए। इनका प्रथम गांव यहां गुराड़ गांव है। 
14-रिंगवाड़ा रावतः ये कैंत्यूरा वंश के हैं। ये कुमांऊ से सम्वत 1411 में यहां आए। इनका गढ़ रिंगवाड़ी गांव था। 
15-फर्सुड़ा रावतः 
16-बंगारी रावतः ये बांगर से सम्वत 1662 में आए। बांगरी क अपभ्रंस बंगारी था। 
17-घंडियाली रावतः 
18-कफोला रावतः
19-बुटोला रावतः ये तंअर वंश के हैं। ये दिल्ली से सम्वत 800 में यहां आए। इनका मूलपुरुष बूटा सिंह था।
20-बरवाणी रावतः ये मासीगढ़ से सम्वत 1479 में आए। इनका प्रथम गांव नैर्भणा था। 
21-झिंक्वाण रावतः 
22-जयाड़ा रावतः ये दिल्ली के समीप से आए। इनका गढ़ जयाड़गढ़ था। 
23-मन्यारी रावतः ये मन्यार पट्टी में बसने के कारण मन्यारी रावत कहलाए। 
24-मैरोड़ा रावतः
25-गुराड़ी रावतः 
26-कोल्ला रावतः
27-जवाड़ी रावतः इनका प्रथम गांव जवाड़ी गांव है। 
28-परसारा रावतः ये चह्वाण वंश के हैं, जो कि सम्वत 1102 में ज्वालापुर से यहां आए, इनका गढ़ परसारी गांव है। 
29-फरस्वाण रावतः ये मथुरा के समीप से सम्वत 432 में यहां आए। इनका प्रथम गांव फरासू गांव था। 
30-जेठा रावतः
31-तोदड़ा रावतः ये कुमांऊ से आए। 
32-मौंदाड़ा रावतः ये पंवार वंश के हैं। ये सम्वत 1405 में आए, इनका प्रथम गांव मौंदाड़ी गांव था। 
33-कड़वाल रावतः 
34-कयाड़ा रावतः ये पंवार वंश के हैं। ये सम्वत 1453 में आए। 
35-गविणा रावतः गवनीगढ़ इनका गढ़ था।
36-तुलसा रावतः
37-लुतड़ा रावतः ये चैहान वंश के हैं। ये सम्वत 838 में लोहा चांदपुर से यहां आए।

बिष्ट राजपूत

38-बगड़वाल बिष्टः यह लोग सिरमौर से 1519 सम्वत में आए, इनका गढ़ बगोड़ी गांव है। 
39-वेन्द्वाल बिष्टः 
40-कफोला बिष्टः यह यदुवंशी हैं, जो कि कम्पीला से आए। इनकी थात कफोलस्यू है। 
41-चमोला बिष्टः ये पंवार वंशी हैं। ये उज्जैन से सम्वत 1443 में आए। 
42-इड़वाल बिष्टः ये परिहार वंशी हैं। जो कि दिल्ली के समीप से यहां सम्वत 913 में आए। इनका गढ़ ईड़ गांव है। 
43-संगेला बिष्टः ये गुजरात से सम्वत 1400 में आए। 
44-मुलाणी बिष्टः ये कैंत्यूरा वंश के हैं यानि इनकी पूर्व जाति कैंत्यूरा है। ये कुमांऊ से सम्वत 1403 में आए। इनका गढ़ मुलाणी गांव है। 
45-धम्मादा बिष्टः ये चह्वान वंश के हैं। ये दिल्ली से आए। 
46-पडियार बिष्टः ये परिहार वंश के हैं। ये धार से 1300 सम्वत में आए। 
47-तिल्ला बिष्टः ये चित्तौड़ से यहां आए। 
48-बछवाण बिष्टः

भंडारी राजपूत-
49-काला भंडारीः
50-तेल भंडारीः
51-सोन भंडारीः
52-पुंडीर भंडारीः

नेगी जाति 
53-खत्री नेगीः
54-पुंडीर नेगीः पुंडीर नेगी का पूर्व जाति (वंश) पुण्डीर है। ये सम्वत 1722 में सहारनपुर से आकर यहां बसे। पृथ्वीराजरासो में ये दिल्ली के समीप के होने बताए गए हैं। 
55-बगलाणा नेगीः ये बागल से सम्वत 1703 में यहां आए। इनका मुख्य गांव शूला है। 
56-मोंडा नेगीः
57-खुंटी नेगीः इनकी पूर्व (वंश) मियां है। ये सम्वत 1113 में नगरकोट-कांगड़ा से आकर यहां बसे। यहां इनका प्रथम गांव यानि की गढ़ खंूटी गांव है। 
58-सिपाही नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) भी मियां है। ये सम्वत 1743 में यहां आए। 
59-संगेला नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) जाट राजपूत है। ये सम्वत 1769 में सहारनपुर से आकर यहां बसे। 
60-खडखोला नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) कैंत्यूरा है। ये कुमांऊ से सम्वत 1169 में आए। ये खडखोली गांव में कलवाड़ी के थोकदार रहे। 
61-सौंद नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) राणा है। ये कैलाखुरी से आए और सौंदाड़ी गांव में बसे। 
62-भोटिया नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) हूण राजपूत है। ये हूण देश से यहां आकर बसे। 
63-पटूड़ा नेगीः ये यहां आकर पटूड़ा गांव में बसे। 
64-महरा (म्वारा), महर नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) गुर्जर राजपूत है। ये लंढौरा से आकर यहां बसे। 
65-बागड़ी या बागुड़ीः ये सम्वत 1417 में मायापुर से आकर बागड़ में बसे। 
66-सिंह नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) बेदी है। ये सम्वत 1700 में पंजाब से आकर यहां बसे। 
67-जम्बाल नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) मियां है। ये जम्मू से आकर यहां बसे। 
68-रिखोला नेगीः रिखल्या राजपूत डोटी नेपाल के रीखली गर्खा से आए। 
69-हाथी नेगीः 
70-जरदारी नेगी
71-पडियार नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) परिहार है। ये सम्वत 1860 में दिल्ली के समीप से आए। 
72-लोहवान नेगीः इनकी पूर्व जाति (वंश) चह्वाण है। ये सम्वत 1035 में दिल्ली से आकर लोहबा परगने में बसे। 
73-नेकी नेगीः 
74-गगवाड़ी नेगीः ये सम्वत 1476 में मथुरा के समीप से आकर गगवाड़ी गांव में बसे। 
75-चोपड़िया नेगीः ये सम्वत 1442 में हस्तिनापुर से आकर चोपड़ा गांव में बसे। 
76-नीलकंठी नेगीः 
77-सरवाल नेगीः ये सम्वत 1600 में पंजाब से आकर यहां बसे।

गुसाईं राजपूत-
78-कंडारी गुसाईंः ये मथुरा के समीप से सम्वत 428 में यहां आए। कंडारीगढ़ के ठाकुरी राजाओं के वंश की जाति है। 
79-घुरदुड़ा गुसाईंः 
80-पटवाल गुसाईंः ये प्रयाग से सम्वत 1212 में यहां आए। पाटा गांव में बसने से इनके नाम से पट्टी नाम पड़ा। 
81-रौथाण गुसाईंः ये सम्वत 945 में रथभौं दिल्ली के समीप से आए। 
82-खाती गुसाईः खातस्यूं इनकी थात की पट्टी है।

83-सजवाण ठाकुरः ये मरहटा वंश के हैं और महाराष्ट्र से आए हैं। ये प्राचीन ठाकुरी राजाओं की संतान हैं।
84-मखलोगा ठाकुरः ये पुंडीर वंश के हैं। सम्वत 1403 में ये मायापर से आए। इनका प्रथम गांव मखलोगी है।
85-तड्याल ठाकुरः इनका प्रथम गांव तड़ी गांव है।
86-पयाल ठाकुरः ये कुरुवंशी वंश के हैं। ये हस्तिनापुर से यहां आए। इनका प्रथम गांव पयाल गांव है।
87-राणाः ये सूर्यवंशी वंश के हैं। सम्वतम 1405 में चितौड़ से गढ़वाल में आए।
88-राणा राजपूत-इनका वंश नागवंशी है। ये हुणदेश से यहां आए। ये प्राचीन निवासियों में से हैं।
89-कठैतः ये कटोच वंश के हैं। ये कांगड़ा से यहां आए।
90-वेदी खत्रीः ये खत्री वंश के हैं और सम्वत 1700 में नेपाल से यहां आए।
़91-पजाईः ये कुमांऊ से यहां आए।
92-रांगड़़ः ये रांगढ़ वंश के हैं और सहारनुपर से यहां आए।
93-कैंत्यूराः ये कैंत्यूरा वंश के हैं और कुमांऊ कत्यूर से यहां आए।

94-नकोटीः ये नगरकोटी वंश के हैं। ये नगरकोट से आए। नकोट गांव में बसने के कारण नकोटी कहलाए।
95-कमीणः
96-कुरमणीः ये कुर्म मूलपुरुष के नाम से कुरमणी कहलाए।
97-धमादाः ये पुराने गढ़ाधीश की संतान हैं।
98-कंडियालः इनका प्रथम गांव कांडी गांव है।
99-बैडोगाः इनका प्रथम गांव बैडोगी है।
100-मुखमालः इनका प्रथम गांव मुखवा या मुखेम गांव है।  

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