जयंती पर याद किए गए शिक्षाविद् डॉ. वाचस्पति मैठाणी

-‘स्वतंत्र भारत में संस्कृत भाषा की स्थिति’ पर वेबीनार आयोजित

देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। महान शिक्षाविद् डॉ वाचस्पति मैठाणी की जयंती पर ‘स्वतंत्र भारत में संस्कृत भाषा की स्थिति’ विषय पर एक वेबीनार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश विदेश के संस्कृत विद्वानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल हरियाणा के कुलपति प्रो रमेश भारद्वाज ने कहा कि डॉ मैठाणी ने उत्तराखंड ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष में संस्कृत के दीपक को हमेशा प्रज्वलित रखा। उनके द्वारा किए गए कार्य हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं।
डॉ वाचस्पति मैठाणी स्मृति मंच के संरक्षक पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि मैठाणी जी के द्वारा संस्कृत के क्षेत्र में किए गए कार्य अतुलनीय है, उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके कार्यों के आधार पर उनकी मूर्ति संस्कृत संस्थानों में लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष होने के बाद भी मृत के कगार पर खड़ी संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए भारत सरकार को देश में चर्चा परिचर्चा करवाकर उसके उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए। विशिष्ठ अतिथि पतंजलि विश्विद्यालय के उप कुलपति प्रो महावीर अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा पढ़ने वाला दूसरों को जीने की कला सिखाता है। उन्होंने कहा कि उच्च कोटि के मनीषी डॉ मैठाणी के रक्त में और सांस में संस्कृत शिक्षा के प्रति जो भावना थी उसको स्मरण कर संस्कृत भाषा को सर्वोच्च गौरव प्रदान करने के लिए हमको प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेवी शंभू शरण रतूड़ी ने कहा कि मैठाणी जी के द्वारा खोले गए शिक्षण संस्थानों से आज पूरा क्षेत्र लाभान्वित हो रहा है और हजारों परिवार अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इसलिए उनके द्वारा खोले गए बालगंगा महाविद्यालय और बालगंगा राजकीय इंटर कॉलेज का नाम उनके नाम पर पड़ना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कमलापति मैठाणी ने किया। इस अवसर पर डॉ हरीश चंद्र गुरुरानी, डॉ मीनाक्षी सिंह, डॉ शैलेंद्र मैठाणी, जनकवि बेलीराम कंसवाल, प्रदीप नैथानी, आर के चैधरी, आदित्य तिवाड़ी, उन्नति, कैलाशपति मैठाणी आदि उपस्थित रहे। दूसरी तरफ देवभूमि प्राथमिक संस्कृत विद्यालय सारथी विहार में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कविता, संतोषी, धीरज नवानी, करुणापति, दिव्या, शीला, ममता, नेहा, हेमा, तृप्ति आदि उपस्थित रहे।  

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